पंचायती राज व्यवस्था और महिला सशक्तिकरण
Author(s): गुलशन कुमार रजक
Abstract: पंचायत राज के माध्यम से हुए महिला सशक्तीकरण से ग्रामीण महिलायें अपने अधिकारों के प्रति सचेत हुई हैं। उनमें अन्याय और शोषण के विरूद्ध आवाज उठाने की हिम्मत बढ़ी है। उनके व्यक्तित्व में भी परिवर्तन आया है। उनमें आत्मविश्वास एवं जोश बढ़ा है। रचनात्मक कार्यक्रमों में उनकी भागीदारी बढ़ी है। पंचायती राज संस्थाओं ने महिलाओं के न केवल निर्णय-निर्माण क्षमता में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है, बल्कि विकेन्द्रित नियोजन में विकास कार्यक्रम के प्रशासन, क्रियान्वयन एवं नियोजन में सक्रिय सहभागिता प्रदान की है। पंचायती राज ने ग्रामीण क्षेत्र एवं वंचित (दलित) वर्ग की महिलाओं को परिवार, जाति व समाज में उच्च स्थिति प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है क्योंकि इनमें बीपीएल एवं कमजोर तबके की महिलायें भी निर्वाचित हो रही हैं। इसलिए उनका सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक सशक्तीकरण हो रहा है ।
पंचायतों में सहभागिता से महिलाओं ने शिक्षा के महत्व को पहचाना है, क्योंकि शिक्षा के अभाव में उन्हें इन संस्थाओं में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वे स्वयं महसूस करती हैं कि अगर वे शिक्षित होती तो इन संस्थाओं में बेहतर तरीके से कार्य संपादन एवं सहभागिता कर पातीं। उनकी इस सोच ने ग्रामीण क्षेत्र में लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा दिया है, जिसकी आज काफी वश्यकता है। महिला प्रतिनिधि गरीबी, असमानता, लैंगिक भेदभाव, नशाखोरी, स्वास्थ्य, शिक्षा, घरेलू हिंसा आदि मुद्दों को उठाकर ग्रामीण क्षेत्र में स्थानीय शासन की प्रकृति व दिशा को परिवर्तित कर रही हैं।
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How to cite this article:
गुलशन कुमार रजक. पंचायती राज व्यवस्था और महिला सशक्तिकरण. Int J Multidiscip Trends 2025;7(10):39-42.