उच्च माध्यमिक स्तर में अध्ययनरत विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य का आध्यात्मिक बुद्धि के संदर्भ में अध्ययन
Author(s): डाँ. शुभ्रा. पी. कांडपाल एवं विनीता
Abstract: उच्च माध्यमिक स्तर वह कड़ी है जहाँ पहुचते ही छात्र अपनी शिक्षा के प्रतिजागरू कहने लगते है और उनमे किसी विषय को समझने की योग्यता का विकास होने लगता है। इस स्तर में अध्ययनरत छात्र किशोरावस्था में होते है। इस अवस्था कि विडम्बना होती है कि बालक स्वयं को बड़ा समझते है और बडे उसे छोटा समझते है। किशोर विद्यार्थी अंतर्मुखी ओर बहिर्मुखी व्यक्तित्व वाले होते है । कतिपय किशोरों के माता पिता ऐसे होते है वो उन पर दबाव डालते है कि आपको उच्चतम अंक प्राप्त करने है। ऐसे में उनके समक्ष समायोजन की समस्या उभरती है।अतः उनके मानसिक स्वास्थ्य पर तीव्र प्रभाव पड़ता है और किशोर भूमित अवस्था का शिकार हो जाता है। ऐसी परिस्थिति में किशोर अकेलापन, लज्जाशील, तनाव, अल्पभासी, भय, अपराध, बोध, घबराहट, भ्रम, क्रोध आदि प्रकृति के हो जाते है।मानव मस्तिष्क में मन और मस्तिष्क का महत्वपूर्ण स्थानहै। मन और मस्तिष्क का स्वस्थ रह कर कार्य करने की क्षमता बनाए रखना ही मानसिक स्वास्थ्य है। मानसिक स्वास्थ्य के अभाव में व्यक्ति के विकास का मार्ग कुंठित हो जाता है। माध्यमिक स्तर में विद्यार्थी के मानसिक स्वास्थ्य पर आध्यात्मिक बुद्धि का सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अतः प्रस्तुत अध्ययन में यह जानने का प्रयास किया गया है कि क्या उच्च माध्यमिक स्तर में अध्ययनरत विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य पर आध्यात्मिक बुद्धि का प्रभाव पड़ता है अथवा नही।
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डाँ. शुभ्रा. पी. कांडपाल एवं विनीता. उच्च माध्यमिक स्तर में अध्ययनरत विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य का आध्यात्मिक बुद्धि के संदर्भ में अध्ययन. Int J Multidiscip Trends 2022;4(2):33-36.