मैथिली मिथिला क्षेत्रक प्राचीनतम भाषा थिक, मुदा उपलब्ध साक्ष्यक आधारपर एहि भाषाक उद्गम-स्थल वेदसँ भेटैत अछि। पश्चात् संस्कृत, प्राकृत, पालि, अवहट्ठ (अपभ्रंश) आदिक सीमाकेँ पार करैत आधुनिक मैथिलीक स्वरूप ग्रहण कएलक अछि। मैथिली भाषा जे वेदमे अपन विशेष स्वनिमक संग अंकुरित भेल, ओ पश्चात् संस्कृत, प्राकृत आ' अवहट्ठक ग्रन्थसभमे क्रमशः अपन ध्वनि-परिवर्तन आ' स्वनिमप्रक्रियामे परिवर्तन क' अन्ततः आधुनिक स्वरूप प्राप्त क' सकल। एकर पुखता प्रमाण ई अछि जे मैथिली भाषाक अनेक शब्द, जेना वाचस्पति मिश्रक 'भामति' सँ ल' सर्वानन्दकृ 'आमरकोश'क टीका; सिद्धाचार्यलोकनिक 'चर्यापद' आ' दोहाकोश; 'डाकवचन', 'प्राकृतपैंगलम्', विद्यापतिक अवहट्ठ रचना कीर्तिलता, कीर्तिगाथा, कीर्तिपताका आदि ग्रन्थसभमे अनेक मैथिलीक शब्दसभ अपन स्वनिमक संग प्रयुक्त होइत गेल आ' नबीन मैथिलीक निर्माण कएलक। यथार्थमे मैथिली भाषाक सांकेतिक उद्भव वेदे सँ प्रारंभ होइत अछि आ' कमशः एकर विकासक्रम अनेक भाषा होइत आइ वर्तमान मैथिलीक रूपमे समक्ष अछि।