International Journal of Multidisciplinary Trends
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2025, Vol. 7, Issue 9, Part B

पर्यावरणीय महत्व एवं संरक्षण : जैन आचारमीमांसा के विशेष संदर्भ में


Author(s): रमेश चन्द्र बैरवा

Abstract: मानव सभ्यता के विकास के साथ-साथ प्राकृतिक में व्याप्त संसाधनों का दोहन दिन-प्रतिदिन बढ़ा गया, जिसके परिणामस्वरूप विकट पर्यावरणीय संकट गहराता जा रहा है, जिसमें जलवायु परिवर्तन, वनों की कटाई, प्रदूषण और जैव-विविधता का ह्रास आदि आज के युग की प्रमुख समस्याएँ हैं। ऐसे समय में पर्यावन महत्व एवं संरक्षण के लिए जैन आचारमीमांसा विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसकी आचारनीति प्रकृति और जीव-जगत के संरक्षण पर आधारित है। सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह, संयम और सर्व जीव दया जैसे जैन धर्म के मूल सिद्धांत किस प्रकार केवल मानव के लिए नहीं, बल्कि संपूर्ण जगत में सभी प्राणियों के लिए समान-रूप से प्रासंगिक व महत्वपूर्ण हैं, का आधुनिक समाज से संबंध पर अध्ययन करने का प्रयास किया गया है।

Pages: 95-100 | Views: 103 | Downloads: 32

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How to cite this article:
रमेश चन्द्र बैरवा. पर्यावरणीय महत्व एवं संरक्षण : जैन आचारमीमांसा के विशेष संदर्भ में. Int J Multidiscip Trends 2025;7(9):95-100.
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