भारत में ऑनलाइन शिक्षाः समकालीन विश्लेषण
Author(s): नीरज मीना
Abstract: विगत् कुछ वर्षो से भारत में शिक्षा के माध्यम में परिवर्तन हुआ है। जिसमें सबसे अधिक प्रभावकारी कारक कोविड काल में हुआ, जिसके पश्चात् से ऑनलाइन शिक्षा में तीव्र वृद्धि हुई। भारत में ऑनलाइन शिक्षा में चुनौतियाँ एवं अवसर दोनों ही सहभागी है। शोद्य पत्र के माध्यम से ऑनलाइन शिक्षा में वृद्धि के कुछ कारक परिलक्षित हुए हैः इन्टरनेट पहुँच, कम लागत, कार्य सुगमता, सरकारी पहल, कर्मचारी पहचान आदि। भारत में बढते इन्टरनेट उपभोक्ता यही सिद्ध करते है कि शिक्षा जगत में ऑनलाइन माध्यम अत्यन्त ही कारगर साबित होगा। ऑनलाइन शिक्षा हेतु गूगल मीट, जूम, माइक्रोसाॅफ्ट टीम, सिस्को आदि प्लेटफार्म का उपयोग बढा। छात्रों को ऑनलाइन मोड को अपनाने में प्रारम्भ में काफी दिक्कतें हुई। इसके साथ ही शिक्षा जगत के विभिन्न हितकारकों को भी अनेक अवसर मिलें, जिससे वे भी लाभांश प्राप्त करना चाहते है। इस शोद्य आलेख का उद्देश्य यही है कि छात्र, शिक्षक, शिक्षण संस्थान, सरकार एवं समाज के सामने आई चुनौतियों को इन्होनें अवसर के रूप में परिवर्तन करके कैसे स्वतः आत्मसात् किया है। भविष्य में भारत में ऑनलाइन शिक्षा में क्या संभावनाएँ तलाशी जा सकती है। नई शिक्षा नीति 2020 में भी ऑनलाइन शिक्षा का विकास किस तरह से किया जा रहा है।
ऑनलाइन शिक्षा में सुसंगत व्यवहार की रूपरेखा को तय किया जाना चाहिए। वर्तमान वातावरण में इसे ग्रहण करने की क्षमता का भी परीक्षण किया जाना चाहिए। एक ब्लूप्रिन्ट भी तैयार करना चाहिए, जिससे इसे अधिक उपयोगी और प्रभावी बनाया जा सके। भारत में वर्तमान में भी ऑनलाइन शिक्षा काफी सुगमता से बढ़ रही है लेकिन कुछ व्यवहारिक विषमताओं का भी समाधान किया जाना आवश्यक है। ऑनलाइन शिक्षा से धन, समय, श्रम की भी काफी बचत होती है। लेकिन छात्र-शिक्षक संवाद स्थापित नहीं हो पाता है। अतः ऑनलाइन शिक्षा से लाभ तथा समस्याएँ भी काफी है जिसका समुचित रूप से समझ के साथ समाधान आवश्यक है।
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How to cite this article:
नीरज मीना. भारत में ऑनलाइन शिक्षाः समकालीन विश्लेषण. Int J Multidiscip Trends 2025;7(6):18-19.