मध्यकालीन हिंदी साहित्य पर तत्कालीन शासन व्यवस्था के प्रभाव
Author(s): राकेश, अजय शुक्ला
Abstract: मध्यकालीन भारत (8वीं से 18वीं शताब्दी) में विभिन्न राजवंशों और शासकों का शासन रहा, जिनके प्रभाव से तत्कालीन साहित्य गहरे रूप से प्रभावित हुआ। राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक परिस्थितियों ने साहित्यकारों की रचनात्मक अभिव्यक्ति को आकार दिया। राजनीतिक अस्थिरता और सामाजिक अनिश्चितता ने लोगों को आध्यात्मिकता की ओर प्रेरित किया, जिसके फलस्वरूप भक्ति साहित्य का उदय हुआ। कबीर, मीरा, सूरदास, तुलसीदास जैसे संत कवियों ने अपने रचनाओं में सामाजिक कुरीतियों और राजनीतिक अत्याचारों की आलोचना करते हुए, भक्ति और प्रेम का संदेश दिया। युद्ध और वीरता के गुणगान करने वाले वीर रस की रचनाएं भी इस काल में बहुतायत में लिखी गईं। अमीर खुसरो, चंदबरदायी, पृथ्वीराज रासो जैसे ग्रंथों में युद्धों, वीर योद्धाओं और राजाओं के शौर्य का वर्णन मिलता है। मुगल काल में, दरबारी जीवन और प्रेम भावनाओं का चित्रण करने वाला रीतिकालीन साहित्य प्रचलित हुआ। बिहारी, केशवदास, घनानंद जैसे कवियों ने अपने रचनाओं में प्रेम, सौंदर्य और प्रकृति का मनोरम चित्रण किया। मुगल काल में, दरबारी जीवन और प्रेम भावनाओं का चित्रण करने वाला रीतिकालीन साहित्य प्रचलित हुआ। बिहारी, केशवदास, घनानंद जैसे कवियों ने अपने रचनाओं में प्रेम, सौंदर्य और प्रकृति का मनोरम चित्रण किया।
DOI: 10.22271/multi.2025.v7.i5a.677Pages: 28-30 | Views: 112 | Downloads: 38Download Full Article: Click Here
How to cite this article:
राकेश, अजय शुक्ला.
मध्यकालीन हिंदी साहित्य पर तत्कालीन शासन व्यवस्था के प्रभाव. Int J Multidiscip Trends 2025;7(5):28-30. DOI:
10.22271/multi.2025.v7.i5a.677