राष्ट्रभाषा हिंदी: संवैधानिक स्थिति और व्यवहारिक उपयोग
Author(s): पूजा रानी
Abstract: इस शोध पत्र में वर्णनात्मक और विश्लेषणात्मक विधियों का प्रयोग किया गया है। प्राथमिक रूप से दस्तावेज़ीय अध्ययन के अंतर्गत भारतीय संविधान, राजभाषा अधिनियम, लोकसभा बहसों, राजभाषा विभाग की वार्षिक रिपोर्ट, तथा भाषाई नीति से संबंधित साहित्य का गहन विश्लेषण किया गया है। इसके अतिरिक्त विभिन्न शैक्षिक, प्रशासनिक और न्यायिक संस्थानों में हिंदी के प्रयोग से संबंधित आधिकारिक आँकड़ों का संकलन और विश्लेषण किया गया है। शोध में तुलनात्मक पद्धति का भी प्रयोग किया गया है, जिससे हिंदी और अंग्रेज़ी के व्यवहारिक प्रयोग की वास्तविक स्थिति को स्पष्ट किया जा सके।
शोध प्रविधि (Research Methodology) इस शोध में गुणात्मक (Qualitative) और वर्णनात्मक (Descriptive) शोध विधियों का प्रयोग किया गया है। मुख्यतः द्वितीयक स्रोतों पर आधारित यह अध्ययन भारतीय संविधान, संसद की बहसें, राजभाषा आयोग की रिपोर्ट, राजभाषा अधिनियम, तथा भाषा नीति पर प्रकाशित सरकारी दस्तावेज़ों एवं विद्वानों के साहित्य का विश्लेषण करता है।
शोध की प्रविधि निम्नलिखित चरणों में विभाजित रही
1. दस्तावेजीय अध्ययन: संवैधानिक अनुच्छेद, विधायी दस्तावेज़, नीतिगत रिपोर्टों का अध्ययन। 2. तुलनात्मक विश्लेषण: हिंदी एवं अंग्रेज़ी भाषा के व्यवहारिक उपयोग की तुलनात्मक स्थिति। 3. क्षेत्रीय दृष्टिकोण: हिंदीभाषी एवं गैर-हिंदीभाषी राज्यों में भाषा उपयोग की स्थिति का तुलनात्मक अध्ययन। 4. सांख्यिकीय विश्लेषण: मीडिया, प्रशासन, न्यायपालिका एवं शिक्षा में हिंदी के प्रयोग से संबंधित आँकड़ों का विश्लेषण।5. इस शोध में प्रयुक्त सभी आँकड़े प्रामाणिक स्रोतों जैसे कि राजभाषा विभाग, यूजीसी, एनसीईआरटी, और भारत सरकार की रिपोर्टों से प्राप्त किए गए हैं।
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How to cite this article:
पूजा रानी. राष्ट्रभाषा हिंदी: संवैधानिक स्थिति और व्यवहारिक उपयोग. Int J Multidiscip Trends 2025;7(5):18-21.