महिला उद्यमिता एवं ग्रामीण विकासः अवसर व चुनौतियाँ
Author(s): रमाकान्त पाण्डेय, पुष्पा सिंह चैहान
Abstract: किसी भी देश के विकास के लिए महिला एवं पुरुष की समान भागीदारी बहुत जरूरी है। भारत जैसे विकासशील देश को मोटेतौर पर संगठित एवं असंगठित दो क्षेत्र में विभाजित किया गया है। जिसमें ग्रामीण उद्यम असंगठित क्षेत्र के अन्तर्गत आते हैं। ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएँ घरेलू कार्यों के साथ-साथ कृषि से संबंधित कार्यों में पूरा योगदान देती हैं। लेकिन आर्थिक रूप से इनके इस कार्य का योगदान नकारात्मक है। राष्ट्र एवं स्वतंत्र विकास के क्षेत्र में महिलाओं के कठिन परिश्रम एवं योगदान के लिए उनकी सराहना करके महिला उद्यमिता पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। क्योंकि, आजादी के बाद से केवल महिलाएँ ही आर्थिक रूप से कमजोर हंै। जिसके कारण यह उद्यमी के रूप में विकसित नहीं हो पायी हैं। लेकिन, पिछले दो दशक पूर्व से महिलाएँ भी उद्यमिता के क्षेत्र में अपनी पहचान कायम करती हुई दिखाई दे रही हैं। इसके पीछे जहाँ एक ओर ये उपयोगी सामाजिक जीवन व्यतीत कर अपनी योग्यता और ज्ञान का उपयोग करना चाहती हैं, तो वहीं दूसरी ओर ये अपने पारिवारिक आय में वृद्धि कर आर्थिक व्यवस्था में सहयोग हेतु तत्पर है। इसके लिए उद्यमशीलता एक महत्वपूर्ण प्रेरक घटक है। हाॅलांकि, वर्तमान समय में महिलाओं की उद्यमशीलता को आगे बढ़ाने में वैश्वीकरण भी एक प्रमुख भूमिका निभा रहा है। आज विश्व के सभी देशों की महिलाएँ उद्यम के क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं। प्रस्तुत शोध आलेख ग्रामीण महिलाओं के उद्यमशील कौशल को बढ़ाने और बदले में सशक्तीकरण और आर्थिक विकास के लिए ध्यान केंद्रित किये जाने वाले मापदंडों पर केंद्रित है।
Pages: 137-140 | Views: 73 | Downloads: 33Download Full Article: Click Here
How to cite this article:
रमाकान्त पाण्डेय, पुष्पा सिंह चैहान. महिला उद्यमिता एवं ग्रामीण विकासः अवसर व चुनौतियाँ. Int J Multidiscip Trends 2025;7(4):137-140.