International Journal of Multidisciplinary Trends
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2025, Vol. 7, Issue 2, Part C

राजस्थान में साहित्यिक पत्रकारिता का अध्ययन


Author(s): रूचि पालीवाल, मलय पानेरी

Abstract:
राजस्थान का साहित्य और पत्रकारिता दोनों ही समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा के प्रतीक हैं। साहित्यिक पत्रकारिता ने न केवल साहित्य के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, बल्कि सामाजिक चेतना, भाषा विकास और सांस्कृतिक मूल्यों के संरक्षण में भी योगदान दिया। इस शोध पत्र का उद्देश्य राजस्थान में साहित्यिक पत्रकारिता के उद्भव, विकास, प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं, रचनाकारों और वर्तमान परिदृश्य का अध्ययन करना है।
राजस्थान में साहित्यिक पत्रकारिता का आरंभ 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में हुआ। इस काल में ‘राजपुताना गजट’, ‘राजस्थान समाचार’ जैसे पत्र-पत्रिकाओं ने सामाजिक मुद्दों के साथ-साथ साहित्य को भी प्राथमिकता दी। स्वतंत्रता संग्राम के समय साहित्यिक पत्रकारिता एक सशक्त माध्यम बनकर उभरी, जिसने जनमानस में राष्ट्रीय चेतना जागृत की। साहित्यकारों ने कविता, लेख, व्यंग्य और कहानी के माध्यम से अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आवाज उठाई।
स्वतंत्रता के बाद साहित्यिक पत्रकारिता को नई दिशा मिली। इस काल में ‘मधुमती’, ‘कसक‘, ‘वागर्थ’, ‘रंगयात्रा‘, ‘अनुवाद‘, आदि पत्रिकाओं ने साहित्य को समर्पित मंच प्रदान किया। इन पत्रिकाओं ने नए लेखकों को सामने लाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई और समकालीन साहित्य की बहसों को पाठकों तक पहुँचाया।
राजस्थान के कई प्रमुख साहित्यिक पत्रकारों ने इस क्षेत्र को समृद्ध किया, जैसे विजयदान देथा, नंद चतुर्वेदी, लक्ष्मण सिंह, हरिकृष्ण प्रेमी और सूर्यमल्ल मिश्रण। इन्होंने अपनी रचनाओं व पत्रकारिता के माध्यम से समाज में भाषा, विचार और संस्कृति के क्षेत्र में स्थायी प्रभाव डाला।
आज के डिजिटल युग में साहित्यिक पत्रकारिता ने ऑनलाइन माध्यमों पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। ‘साहित्य कुंज’, ‘रचनाकार‘, ‘कविता कोश‘ जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म साहित्यिक पत्रकारिता की नई पहचान हैं। हालांकि, इस क्षेत्र को व्यावसायीकरण, पाठकीय रुचि में गिरावट और पारंपरिक पत्रिकाओं के बंद होने जैसी चुनौतियों का सामना भी करना पड़ रहा है।
राजस्थान में साहित्यिक पत्रकारिता केवल लेखन का माध्यम नहीं रही, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक चेतना की वाहक रही है। यह शोध राजस्थान की साहित्यिक पत्रकारिता के ऐतिहासिक और वर्तमान स्वरूप को समझने का एक प्रयास है, जो आगे के शोधों का भी आधार बन सकता है।



DOI: 10.22271/multi.2025.v7.i2c.713

Pages: 192-206 | Views: 135 | Downloads: 42

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How to cite this article:
रूचि पालीवाल, मलय पानेरी. राजस्थान में साहित्यिक पत्रकारिता का अध्ययन. Int J Multidiscip Trends 2025;7(2):192-206. DOI: 10.22271/multi.2025.v7.i2c.713
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