बिहार में महिला शिक्षा एवं सशक्तिकरण की चिंता : एक सामाजिक परिप्रेक्ष्य
Author(s): डॉ. सत्यम कुमार
Abstract: बिहार में महिला सशक्तिकरण और शिक्षा की चिंताएँ और समस्याएँ एक समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य के अंतर्गत काफी महत्वपूर्ण विषय के रूप मे प्रस्तुत होता है। 21वीं सदी के इस युग में, महिला सशक्तिकरण सबसे महत्वपूर्ण चिंताओं में से एक बन गया है। महिला सशक्तिकरण अनिवार्य रूप से समाज में पारंपरिक रूप से वंचित महिलाओं की आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक स्थिति के समग्र उत्थान की प्रक्रिया है। यह अध्ययन द्वितीयक डेटा पर आधारित है जो विभिन्न राष्ट्रिए और अतर्राष्ट्रीय रिपोर्टों, कई सरकारी दस्तावेजों या राजपत्रों, सर्वेक्षणों की सूचनाओ इत्यादि से मुखतः प्राप्त किया गया है। इस शोध अध्ययन से यह ज्ञात होता है कि महिलाएं सामाजिक रूप से अपेक्षाकृत अशक्त प्रस्तुत होती रहीं हैं। राज्य सरकार और केंद्र सरकार द्वारा किए गए कई प्रयासों के बाद भी सामाजिक परिपेक्ष्य में उन्हें निम्न दर्जा ही प्राप्त होता आया है। अध्ययन में यह बताने का प्रयास किया गया है कि शिक्षा के स्तर पर उनकी सुदृढ़ स्थिति एवं रोजगार और सामाजिक संरचना में हो रहे परिवर्तन तक उनकी पहुंच ही महिला सशक्तीकरण के लिए सक्षम कारक माने जा सकते हैं। अतः इस रूप मे हम देख सकते हैं कि बिहार में महिला शिक्षा का सुदृढीकरण अति आवश्यक है, क्योंकि शिक्षा महिला सशक्तिकरण की आधारशिला है। शिक्षा लिंग असमानताओं में कमी लाती है और समाज एवं परिवार के भीतर स्थिति में सुधार लाती है एवं साथ ही साथ भागीदारी की अवधारणा भी विकसित करती है।
डॉ. सत्यम कुमार. बिहार में महिला शिक्षा एवं सशक्तिकरण की चिंता : एक सामाजिक परिप्रेक्ष्य. Int J Multidiscip Trends 2025;7(2):37-42. DOI: 10.22271/multi.2025.v7.i2a.595