भारत में दुग्ध उत्पादों की स्थिति एवं उसमें गंगा डेयरी का योगदान
Author(s): खुशबू कुमारी
Abstract: भारत में उत्पादित कुल दूध का अनुमानित 50-55ः स्कंदन, शुष्कन और किण्वन जैसी प्रक्रियाओं का उपयोग करके विभिन्न प्रकार के स्वदेशी पारंपरिक दूध उत्पादों में परिवर्तित किया जाता है। स्क्रैप्ड सरफेस हीट एक्सचेंजर (एसएसएचई) के नवाचार के साथ, पारंपरिक मिठाई उत्पादों का निर्माण भारतीय डेयरी उद्योग द्वारा आसानी से किया जा रहा है। भारत में लगभग 15 संयंत्रों ने निरंतर खोआ बनाने वाली मशीन का उपयोग करके 1-4 टन के दैनिक उत्पादन के साथ खोया का औद्योगिक उत्पादन शुरू किया है। भारत में लगभग 9,00,000 टन घी का उत्पादन होता है जिसका मूल्य 85,000 मिलियन है। मक्खन के उत्पादन में छाछ एक उपात्पाद है। अनुमान है कि प्रत्येक किलो घी बनाने पर लगभग 55 किलो छाछ पिब का उत्पादन होता है जिससे लस्सी बनता है उस लस्सी की कीमत लगभग 25,000 मिलियन है। एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (एसोचैम) के अनुसार, भारतीय डेयरी उद्योग का मूल्य 2015 तक 5 लाख करोड़ तक पहुंच गयी थी, अवधि के अंत में दूध उत्पादन 190-200 मिलियन टन था। भारतीय डेयरी उद्योग प्रति वर्ष 10.0ः की दर से बढ़ रहा है। देश में उत्पादित कुल दूध का केवल 30ः ही संगठित डेयरी उद्योग द्वारा संसाधित किया जा रहा है। लगभग 10 वर्षों की अवधि में इस स्तर को कम से कम 50ः के स्तर तक बढ़ाने की पर्याप्त गुंजाइश मौजूद है। स्वदेशी डेयरी आधारित मिठाइयों की बेहतर पैकेजिंग समय की मांग है। स्वच्छता, ऊर्जा की आवश्यकता और पर्यावरण सुरक्षा के मुद्दों को ध्यान में रखते हुए, स्वदेशी दूध की मिठाइयों के निर्माण में मशीनीकरण अभी भी पूर्ण नहीं किया गया है।
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खुशबू कुमारी. भारत में दुग्ध उत्पादों की स्थिति एवं उसमें गंगा डेयरी का योगदान. Int J Multidiscip Trends 2024;6(7):01-05.