जनसंख्या गत्यात्मकता के आधारों का भौगोलिक विश्लेषणः जयपुर जिले के सन्दर्भ में
Author(s): दुर्गा, इंदु यादव
Abstract: जनसंख्या गत्यात्मकता से ना केवल किसी क्षेत्र के विकास का वर्तमान प्रभावित होता है, अपितु भविष्य भी निर्धारित होता है। किसी भी क्षेत्र में उच्च जनसंख्या वृद्धि या कमी अत्यधिक जनसंख्या गत्यात्मकता को प्रदर्षित करते हैं, वहीं जनसंख्या में अल्प वृद्धि या कमी, जनसंख्या गत्यात्मकता की धीमी प्रवृति प्रकट करते हैं। सामान्य अर्थ में जनसंख्या गतिकी अथवा गतिषीलता अथवा गत्यात्मकता से तात्पर्य जनसंख्या वृद्धि के परिप्रेक्ष्य में ही रहता है। देष में लगभग सभी क्षेत्रों में जनसंख्या विस्फोट की स्थिति बनी हुई है, तीव्र नगरीकरण हो रहा है, जहाँ गाँव कस्बों का रूप धारण करते जा रहे हैं, कस्बे नगरों का एवं नगर महानगरों में परिवर्तित हो रहे हैं। किसी क्षेत्र विषेष में जनसंख्या वृद्धि के परिणामतः उत्पन्न गत्यात्मकता के कारण, वहाँ रहने वाले लोगों के बीच सामाजिक व आर्थिक परिवर्तन होते हैं, अनौपचारिक संबंधों का परिवर्तन औपचारिक संबंधों में हो जाता है व प्राथमिक समूह, द्वितीयक समूहों में बदल जाते हैं अर्थात् यह एक ऐसी तय प्रक्रिया होती है जिसमें एक समाज के समुदाय की षक्ति व आकार बढ़ते हैं। किसी क्षेत्र में तीव्र गति से बढ़ता हुआ नगरीकरण उच्च जनसंख्या गत्यात्मकता का परिचायक है। जनसंख्या गत्यात्मकता के आधारों के अन्तर्गत औद्योगिक विकास, प्रशासकीय कार्यों की स्थापना, परिवहन एवं संचार के साधन, खनिजों की प्राप्ति, शिक्षा एवं चिकित्सा संस्थानों की स्थापना, ग्रामीण एवं अन्य स्थानों से आप्रवास, विस्थापितों के लिए आवास, व्यापारिक गतिविधियों तथा केन्द्रीय स्थिति का प्रभाव, नगरीकरण, नगरीय जीवनषैली, संास्कृतिक विभिन्नता के लोग, तकनीकी का विकास, रोजगार के अवसर, सरकारी योजनाएँ आदि को सम्मिलित किया जाता है।
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How to cite this article:
दुर्गा, इंदु यादव. जनसंख्या गत्यात्मकता के आधारों का भौगोलिक विश्लेषणः जयपुर जिले के सन्दर्भ में. Int J Multidiscip Trends 2024;6(6):61-64.