International Journal of Multidisciplinary Trends
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2024, Vol. 6, Issue 6, Part A

खनिज नीतियाँ और राजस्थान


Author(s): पवन कुमार जग्रवाल

Abstract: खनिज वे संसाधन हैं जिन्हे भू-गर्भ से खोद कर बाहर निकाला जाता हैं। खनिज प्रकृति में पाए जाने वाले ठोस, जड़ तथा रासायनिक पदार्थ हैं। खनिज संसाधनों की उपलब्धता पर किसी देश एवं क्षेत्र विशेष का आर्थिक विकास निर्भर करता हैं। किसी भी देश या राज्य के आर्थिक विकास अर्थात् मूलभतू उद्योगों के विकास के लिए गुणवतापूर्ण खनिज पर्याप्त मात्रा में पाया जाना अति आवश्यक हैं। जो देश खनिजों कि दृष्टि से सम्पन्न होते हैं, वे हमेशा विकास के मार्ग पर अग्रसर होते हैं। अति-प्राचीन काल से ही खनिजों का मानव के विकास और समृद्वि में महत्वपूर्ण योगदान रहा हैं। मानव सभ्यता के विकास का मूल आधार खनिज ही रहा हैं। विभिन्न खनिज संसाधनों के आधार पर ही मनुष्य ने अनेक प्रकार के औजार बनाये और अपने जीवन को सुखी व समद्व बनाने में सफलता प्राप्त की हैं। यदि मनुष्य के जीवन से खनिज को निकाल दिया जाये तो उस स्थिति में मनुष्य जीवन बड़ा ही दुःखद बन जायेगा क्योंकि खनिजों से बने विभिन्न संसाधन मनुष्य के जीवनयापन के मूल साधन हैं।1 खनिजों के इसी महत्व के कारण विश्व के सभी देशों ने खनिजों के सम्बंध में नीतियाँ बनाई हैं। खनिजों के सम्बंध में बनाई गई नीतियों के आधार पर ही खनिज संसाधनों का सही उपयोग किया जा सकता हैं। राजस्थान में अनेक प्रकार के खनिज पाये जाते हैं। यहाँ पर धात्विक-अधात्विक खनिज पाए जाते हैं जिसके कारण भूगर्भवेताओं ने राजस्थान को खनिजों का अजायबघर या संग्रहालय तथा रत्नगर्भा वसुंधरा नाम से भी संबोधित किया हैं।

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How to cite this article:
पवन कुमार जग्रवाल. खनिज नीतियाँ और राजस्थान. Int J Multidiscip Trends 2024;6(6):53-55.
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