ई-शिक्षा: प्रारम्भिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण मे उभरता एक प्रतिमान
Author(s): सुनील कुमार
Abstract: शिक्षा के सार्वभौमीकरण में समय, दूरी, भाषा जैसी कुछ बाधाएं आरंभ से ही विद्यमान रही हैं। भारत में अनेक प्रकार की विविधता पायी जाती है, इसमें भाषा की विविधता भी विद्यमान है। भारत की कुल साक्षरता दर 77 प्रतिशत है जिसमें पुरुष की साक्षरता दर 84.40 प्रतिशत और महिलाओं की 71.50 प्रतिशत है। यहाँ शहरी क्षेत्रों में साक्षरता दर 87.70 प्रतिशत है जबकि ग्रामीण साक्षरता दर 73.50 प्रतिशत के लगभग है (एन.एस.ओ. रिपोर्ट)। 1971 से 2017 तक भारत के लिए औसत अनुपात 38.64 छात्र प्रति शिक्षक था। 2017 में प्रति शिक्षक 32.75 छात्र है (यूनेस्को 2017)। भारत में शैक्षिक विभाजन काफी व्यापक है। यह शैक्षिक विभाजन ही चिंता का प्रमुख कारण है। इस शैक्षिक विभाजन को भौतिक और आर्थिक सहायता प्रदान कर संकुचित करने का प्रयास किया जा रहा है। प्राथमिक शिक्षा की बात की जाए तो ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक स्तर पर शिक्षक और छात्र का अनुपात 1:58.81 (स्रोतः यू-डी.आई.एस.ई.) है। इस कारण, यदि शिक्षा के प्राथमिक स्तर पर बदलाव नहीं किया गया तो प्राथमिक स्तर पर शिक्षा की स्थिति और खराब हो जाएगी। शिक्षा के सार्वभौमीकरण से अभिप्राय सभी को अवसरों की समता एवं उपलब्धता सुनिश्चित कराने से है जिससे सभी का सर्वांगीण विकास सुनिश्चित हो सके। परिणामतः कोई भी व्यक्ति शिक्षण तंत्र से बाहर नहीं रहे। आज के प्रासंगिक युग में शिक्षा एवं दक्षता समृद्धि के प्रमुख आध गारों में से एक है। वर्तमान समय में ई-शिक्षा की भूमिका भी बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। इस कारण यह समाज का बहुत ही महत्त्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। शैक्षिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए सूचना और संचार प्रौद्योगिकियों के प्रसार ने ई-शिक्षा के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया है।
Pages: 45-51 | Views: 339 | Downloads: 125Download Full Article: Click Here
How to cite this article:
सुनील कुमार. ई-शिक्षा: प्रारम्भिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण मे उभरता एक प्रतिमान. Int J Multidiscip Trends 2024;6(3):45-51.