महिला आरक्षण प्रारम्भ से “नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023“ तक का सफरनामा
Author(s): सरिता सैनी
Abstract: प्रजातन्त्र केवल नस्लों, राष्ट्रों एवं वर्गो के मध्य ही न्याय तथा समानता की स्थापना की अपेक्षा नहीं करता बल्कि मानव जाति के दो सर्वाधिक मूल विभजानों स्त्री-पुरुष के मध्य भी समानता की स्थापना की अपेक्षा करता है। महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी सुनिश्चित करने हेतु आरक्षण व्यवस्था केवल नारीवादी स्वप्नों को ही साकार नहीं करता अपितु सम्पूर्ण समाज की उन्नति एवं लोकतन्त्र के सशक्तिकरण के लिए भी यह आवश्यक है।
संयुक्त राष्ट्र के मानकों के अनुसार संसद में महिलाओं की भागीदारी 30 प्रतिशत होनी चाहिए। चीन, रूस, कोरिया, फिलीपींस आदि देशों में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण का पहले से ही प्रावधान किया हुआ है। जबकि फ्रांस, जर्मनी, स्वीडन, नार्वे आदि देशों की राजनीतिक पार्टियों ने भी महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण दे रखा है।
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How to cite this article:
सरिता सैनी. महिला आरक्षण प्रारम्भ से “नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023“ तक का सफरनामा. Int J Multidiscip Trends 2024;6(2):41-43.