International Journal of Multidisciplinary Trends
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2024, Vol. 6, Issue 12, Part B

मिथिला भाषा रामायण मे सीताक वैशिष्ट्य


Author(s): रंजना

Abstract: कवीश्वर चन्द्रा झा कृत ‘मिथिला भाषा रामायण’ मे चिर प्रतिष्ठित रामायण कथाक अनुसरण कयल गेल अछि। एकर रचना मैथिली भाषा मे कयल गेल अछि जाहि मे रामक जन्म, दशरथक राजसभा मे विश्वामित्रक पदार्पण, राक्षस सभ पर प्रहार करबाक लेल राम के वन लए जयबाक याचना, रामक जनकपुर यात्रा आओर शिवक धनुष के भंग कए सीताक संग पाणिग्रहण करब, राम के चैदह वर्षक वनवास दए कए अपनेे पुत्र भरत के राजगद्द़ी प्रदान करबाक लेल दशरथ सँ कैकेयीक कुतर्क, रामक संग सीताक वनगमन, दशरथक मृत्यु, रावण द्वारा सीता-हरण, सुग्रीवक संग मैत्री, हनुमानक समुद्र संतरण आओर सीताक अन्वेषण, लंका मे हुनक अप्रतिम शौर्य, बानर-सेनाक लंका दिस प्रयाण, रावण सहित ओकर संबंधीक मृत्यु एवं सबके प्रमुदित करबाक लेल राम आ सीताक अयोध्या प्रत्यावर्तन।
अन्य प्रान्ते जकाँ रामकथाक ई विन्यास मिथिलो क्षेत्र मे प्रख्यात रहल मुदा अपने उचित महत्वक अनुरूप एकर साहित्यिक प्रतिपादन नहि कयल गेल। मिथिला क्षेत्रक जनसाधारणक बीच रामोपासना के सम्यक् रूपसँ प्रतिष्ठित होएबा मे आओर तदनुरूप लोकप्रिय बनबा मे बहुत अधिक समय लागि गेल। मध्यकाल मे मिथिला मे अनेको निविष्ट कवि उत्पन्न भेलाह तइयो राम विषयक रचनाकारक संख्या बहुत कम भेटैत अछि। एकर मुख्य कारण ई मानल जा सकैत अछि जे मिथिला मे शक्तिक उपासना के प्रधानता देल जाइत अछि। जनसाधारण के शक्तिक उपासना मे आसक्ति छल जाहि कारणेँ रामोपासना के महत्व नहि देल गेल। आइयो मिथिलाक प्रत्येक घरमे कुलदेवीक रूप मे काली, दुर्गा, ज्वालामुखी आदि देवीक प्रतिदिन पूजा कयल जाइत अछि। रामानन्द संप्रदायक अनुयायी रामके परम देवताक प्रतीक बुझि कए हुनकर उपासना करैत छलाह। ओ लोकनि मिथिलो मे एकर जोर-शोर सँ प्रचार कयलनि। पढ़ल-लिखल प्रबुद्ध वर्ग एहि नव धर्माचरण के ग्रहण करबाक लेल आकृष्ट भेलाह आओर रामोपासनाक लहरि मिथिला मे व्याप्त भए गेल जकर विरोध समाजक कोनो वर्गक लोक नहि कयलक। चन्दा झा सेहो ओहि परिवेश मे आदर्शक स्थापना करैत राम के अपने नायक बनौलनि। ओ वाल्मीकि रामायण आ अध्यात्म रामायण के आधार मानि कए ‘मिथिला भाषा रामायण’ अपने मातृभाषा मैथिली मे रचना कयलनि। तुलसीदासक रामचरित मानसो के स्वीकार कयलनि। ओकर खास अंश के जे हुनका नीक लगलनि ओकर पूर्णतया उपयोग कयलनि। एहि तरहें ओ अपने रचना के उत्कृष्ट बनयबाक प्रयास कयलनि।


DOI: 10.22271/multi.2024.v6.i12b.551

Pages: 149-153 | Views: 65 | Downloads: 22

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How to cite this article:
रंजना. मिथिला भाषा रामायण मे सीताक वैशिष्ट्य. Int J Multidiscip Trends 2024;6(12):149-153. DOI: 10.22271/multi.2024.v6.i12b.551
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