भारत में वैकल्पिक विवाद समाधान प्रणाली के रूप में ग्राम न्यायालय
Author(s): सरिता यादव
Abstract: ग्राम न्यायालय का अर्थ है - ग्राम/गांव स्तर पर स्थानीय स्तर पर स्थापित न्याय वितरण प्रणाली । ग्राम न्यायालय अधिनियम, 2008 की धारा 2(ए) के अनुसार ग्राम न्यायालय धारा 3(1) के अंतर्गत स्थापित एक न्यायालय है । केंद्रीय कानून मंत्री एम. वीरप्पा मोइली ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि निकट भविष्य में देश में 5067 ग्राम न्यायालय स्थापित किए जाएंगे । 1986 में प्रस्तुत विधि आयोग की 114वीं रिपोर्ट ग्राम न्यायालय पर केंद्रित थी और इसमें लंबित मामलों की अधिकता को न्याय तक पहुंच की कमी का मुख्य कारण बताया गया था । भारत में 2011 के अंत तक जिला और अधीनस्थ न्यायालयों में लाखों मामले लंबित थे । न्याय का सहभागी मंच शब्द भारत के विधि आयोग द्वारा अपने अग्रेषित पत्र में तैयार किया गया है कि इसे भारतीय संविधान की परिकल्पना के अनुसार स्थापित किया जाना है । भारतीय विधि आयोग की रिपोर्ट ने अपने कार्य पत्र में इस बात पर जोर दिया है कि विवाह, तलाक, बच्चों की कस्टडी, विरासत और उत्तराधिकार-संपत्ति में हिस्सेदारी, भरण-पोषण आदि से संबंधित पारिवारिक विवादों का निपटारा तालुका/तहसील न्यायालयों में किया जाना चाहिए । यदि कोई विवाद उत्पन्न होता है तो उसे स्थानीय स्तर पर पंचायतों द्वारा निपटाया जाना चाहिए, जैसा कि भारतीय विधि आयोग ने वैज्ञानिक रूप से सुझाया है कि हमारी न्याय व्यवस्था में 'पिरामिडल संरचना' है । सर्वोच्च न्यायालय सर्वोच्च न्यायालय है । राज्यों में उच्च न्यायालय और जिला स्तर पर जिला न्यायालयों में वर्तमान में हमारे न्यायालयों में मामलों की बाढ़ आ गई है । इन सभी को रोकने के लिए ग्राम न्यायालय की परिकल्पना की गई है ताकि उन मामलों को सीमा स्तर पर ही निपटाया जा सके जो अपनी प्रकृति में छोटे हैं । बल्कि न्यायिक प्रक्रिया में सुधारों के परिणामस्वरूप न्याय तंत्र पर दबाव को कम करने व आम जनता के बीच विधि व्यवस्था के प्रति उनके नज़रिये को पुनः परिभाषित करने का अवसर प्रदान करते हैं । ऐसे में ग्राम न्यायालय आम जनता तक न्याय की पहुँच बढ़ाने के साथ ही समय और धन की बचत कर प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से देश के विकास में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान देंगे
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सरिता यादव. भारत में वैकल्पिक विवाद समाधान प्रणाली के रूप में ग्राम न्यायालय. Int J Multidiscip Trends 2024;6(11):111-113.