भारतीय लोकतंत्र पर दलबदल एवं दल बदल विरोधी कानून का प्रभाव
Author(s): ज्योति मीना
Abstract: भारत राजनीतिक व्यवस्था की एक महत्वपूर्ण विशेषता और दोष है दलबदल की राजनीति। यह राजनैतिक पद प्राप्ति का अनैतिक एवं भ्रष्ट तरीका है, इसे अवसरवादिता कि राजनीति भी कहा जाता है। राज्यों की राजनीति एवं शासन व्यवस्था में दलबदल ने इतनी अस्थिरता एवं अव्यवस्था पैदा कर दी है कि संसदीय लोकतांत्रिक प्रणाली अपनाने पर ही सवाल उठने लगे हैं। यद्यपि भारत सरकार ने 52 वें संविधान संशोधन अधिनियम 1985 के माध्यम से संविधान में दसवीं अनुसूची जोड़कर दलबदल विरोधी कानून को संवैधानिक आधार प्रदान कर दिया गया है। 91वें संविधान संशोधन अधिनियम 2003 द्वारा इसमें संशोधन कर दलबदल हेतु दंड का भी प्रावधान किया गया है। कानून लागू होने के कई दशकों के बाद भी दलबदल की समस्या बदस्तूर जारी है, लेकिन कानून लागू होने के दुष्परिणाम स्वरूप निर्वाचित प्रतिनिधियों के भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर पार्टी व्हिप के नाम से अंकुश जरूर लग गया है, जो कि लोकतंत्र की मूल भावना के विरुद्ध है। प्रस्तुत शोध-पत्र भारतीय राजनीति में दलबदल की प्रमुख घटनाएं हैं, दलबदल के कारण, भारतीय लोकतंत्र पर दल बदल एवं उसकी रोकथाम हेतु बनाए गए कानून का प्रभाव तथा दलबदल को रोकने हेतु दिए गए सुझावों के विशेष संदर्भ में है।
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How to cite this article:
ज्योति मीना. भारतीय लोकतंत्र पर दलबदल एवं दल बदल विरोधी कानून का प्रभाव. Int J Multidiscip Trends 2024;6(1):51-56.