पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤šà¤¨à¥à¤¦ के उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ में मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® समाज का चितà¥à¤°à¤£
Author(s): पà¥à¤°à¥‹0 रशà¥à¤®à¤¿ कà¥à¤®à¤¾à¤°
Abstract: पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤šà¤¨à¥à¤¦ हर पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की सामà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ के विरूदà¥à¤§ हैं, चाहे हिनà¥à¤¦à¥‚ सामà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ हो या मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® सामà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¤¿à¤•à¤¤à¤¾à¥¤ 1930 ई0 में अलà¥à¤²à¤¾à¤®à¤¾ नà¥à¤¯à¤¾à¥› फतेहपà¥à¤°à¥€ ने हिनà¥à¤¦à¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥€ à¤à¤•à¥‡à¤¡à¤®à¥€ इलाहाबाद, से हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं को उरà¥à¤¦à¥‚ अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ का कारà¥à¤¯ मिलने पर विवाद उठाया कि उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ यह काम कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ दिया गयाः पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤šà¤¨à¥à¤¦ को नà¥à¤¯à¤¾à¥› साहब की सोच तीर के समान लगी और इस विचारधारा की बखिया उधेड़ दी कि उरà¥à¤¦à¥‚ मातà¥à¤°à¤¾ मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ की à¤à¤¾à¤·à¤¾ है, हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं की à¤à¤¾à¤·à¤¾ है, उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने तीवà¥à¤° à¤à¤µà¤‚ कटॠलहजे में लिखा-‘‘उरà¥à¤¦à¥‚ न मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ की बपौती है न हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं की, उसको लिखने-पà¥à¤¨à¥‡ का हक़ दोनों को हासिल है। हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं का उस पर हक़ पहला है कि वह हिनà¥à¤¦à¥€ की à¤à¤• शाखा है। हिनà¥à¤¦à¥€ पानी और मिटà¥à¤Ÿà¥€ से उसकी रचना हà¥à¤ˆ है और सिरà¥à¤« थोड़े-से अरबी-फ़ारसी शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ के दाखि़ल कर देने से उसकी असलियत नहंी बदल सकती, उसी तरह जैसे पहनावा बदलने से राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯à¤¤à¤¾ या जाति नहीं बदल सकती।‘‘
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पà¥à¤°à¥‹0 रशà¥à¤®à¤¿ कà¥à¤®à¤¾à¤°. पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤šà¤¨à¥à¤¦ के उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ में मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® समाज का चितà¥à¤°à¤£. Int J Multidiscip Trends 2023;5(9):09-13.