International Journal of Multidisciplinary Trends
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2023, Vol. 5, Issue 7, Part A

अमूर्तकला- एक विवेचन


Author(s): डाॅ. रामखिलाड़ी माली

Abstract:
19वीं सदी में हुए यूरोपीय विकास एवं राजनीतिक व सामाजिक उथल-पुथल ने कलाकरो को भी स्वतंत्र विचार से सर्जन करने को प्रेरित किया जिनमें एक प्रवाह वस्तुनिरपेक्ष कला का था।
समाज में सामान्य अवधारणा यह है कि जो समझ नहीं आये वह मार्डन है, जो समझ न आये वह अमूर्त है। समाज की यह धारण पूर्णरूप से सही भी हो सकती क्योंकि कलाकार जिस स्तर के विचारों या भावों को प्रकट करने का काम करता है, जरूरी नहीं कि उन विचारों को समाज आसानी से आत्मसात कर सके। क्योंकि अमूर्त कला में रंगों, रेखाओं या आकारों द्वारा ही कलाकार अज्ञात को ज्ञात करने का प्रयत्न कता है।


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How to cite this article:
डाॅ. रामखिलाड़ी माली. अमूर्तकला- एक विवेचन. Int J Multidiscip Trends 2023;5(7):07-08.
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