ग्रामीण विकास में पंचायतराज संस्थाओं की भूमिका का विश्लेषणात्मक अध्ययन (सीधी जिले के विशेष संदर्भ में)
Author(s): चंदन शुक्ला, डॉ. आर. बी. एस. चौहान
Abstract: मूलतः पंचायतीराज व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य विकास की गति तेजकर सभी ग्रामीण जनों को इस प्रक्रिया में सम्मिलित करना है। जिससे लोगों की जरूरतों और उनकी विकास की आंकाक्षाओं को पूर्ण किया जा सके। विकेन्द्रीकृत नियोजन वास्तव में एक बहुस्तरीय नियोजन की प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया के नियोजन के लिए पंचायतीराज निकाय के निचले स्तर- ग्राम पंचायत, मध्यवर्ती स्तर- जनपद पंचायत तथा उच्च स्तर- जिला पंचायत से प्रारंभ करना होगा। पंचायतीराज निकाय के इन तीनों स्तरों द्वारा विभिन्न विकास कार्यक्रमों की योजना तैयार कर उन्हें धरातल पर लागू करने की महत्वपूर्ण जबाबदेही है। ग्रामीण जनों के सामाजिक एवं आर्थिक स्थितियों में सुधार लाने हेतु पंचायतराज निकाय की महती आवश्यकता है। पंचातयीराज की सक्रिय भागीदारी के बिना ग्रामीण गरीबी की चुनौती का सामना नहीं किया जा सकता है। पंचायतों को हमारे ग्रामीण समाजों के सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन व विकास की गति को बढ़ाने के एक साधन के रूप में देखा जाता है। प्रस्तुत शोध आलेख में ग्रामीण विकास में पंचायतीराज संस्थाओं की भूमिका का एक विश्लेषणात्मक अध्ययन सीधी जिले के विशेष संदर्भ में किया गया है।
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चंदन शुक्ला, डॉ. आर. बी. एस. चौहान. ग्रामीण विकास में पंचायतराज संस्थाओं की भूमिका का विश्लेषणात्मक अध्ययन (सीधी जिले के विशेष संदर्भ में). Int J Multidiscip Trends 2023;5(2):25-29.