International Journal of Multidisciplinary Trends
  • Printed Journal
  • Refereed Journal
  • Peer Reviewed Journal

2022, Vol. 4, Issue 1, Part C

आदिवासी समाज और महिलाओं का सामाजिक उत्थान: परंपरा से आधुनिकता तक


Author(s): डॉ. राजीव कुमार साह

Abstract: आदिवासी समाज भारत की सांस्कृतिक विविधता का एक अहम हिस्सा है, लेकिन इस समाज में महिलाओं की भूमिका और उनकी सामाजिक स्थिति ऐतिहासिक रूप से उपेक्षित रही है। परंपरागत रूप से आदिवासी महिलाएँ अपने समुदायों की रीढ़ मानी जाती हैं, क्योंकि वे कृषि, वन उत्पादों के संग्रहण और परिवार के पोषण में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं। इसके बावजूद, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और आर्थिक स्वतंत्रता की कमी ने उनके सामाजिक विकास में बाधाएँ उत्पन्न की हैं। हाल के दशकों में सरकारी योजनाओं, शिक्षा, और जागरूकता अभियानों ने आदिवासी महिलाओं की सामाजिक गतिशीलता को गति दी है। महिलाएँ अब शिक्षा प्राप्त कर रही हैं, विभिन्न व्यावसायिक क्षेत्रों में प्रवेश कर रही हैं, और अपने अधिकारों के प्रति अधिक जागरूक हो रही हैं। स्वास्थ्य सेवाओं और स्वरोजगार योजनाओं ने उन्हें स्वावलंबी बनने का अवसर प्रदान किया है। फिर भी, सामाजिक कुरीतियाँ, पितृसत्तात्मक सोच, और सांस्कृतिक बंधन अब भी उनके विकास में बाधा बन रहे हैं। इस परिप्रेक्ष्य में, आदिवासी महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए सरकार, गैर-सरकारी संगठनों और स्थानीय समुदायों के समन्वित प्रयासों की आवश्यकता है। आधुनिकता और परंपरा के बीच संतुलन बनाते हुए आदिवासी महिलाएँ अपनी सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित रखते हुए समाज में नई पहचान बना रही हैं।

Pages: 295-299 | Views: 17 | Downloads: 8

Download Full Article: Click Here

International Journal of Multidisciplinary Trends
How to cite this article:
डॉ. राजीव कुमार साह. आदिवासी समाज और महिलाओं का सामाजिक उत्थान: परंपरा से आधुनिकता तक. Int J Multidiscip Trends 2022;4(1):295-299.
International Journal of Multidisciplinary Trends
Call for book chapter
Journals List Click Here Research Journals Research Journals