दर्शन शास्त्र परम्परायाः वैश्विकं योगदानम्
Author(s): Dr. Gauri Bhatnagar
Abstract: दर्शन शब्द दृश धातु के कारण अर्थ में ल्युट् प्रत्यय लगाने से निष्पन्न होता है । इसका तात्पर्य है -- देखना, समझना, प्रत्यक्ष जानना ।परंतु मात्र चक्षु इंद्रिय से देखना ही नहीं अपितु तत्व का साक्षात्कार भी दर्शन कहलाता है। दर्शन का साधन तथा साधक दोनों ही अलौकिक हैं। दर्शनशास्त्र का उद्देश्य है जगत एवं जीव के तत्त्व को समझना । अतः दर्शन का मुख्य लक्ष्य है- आत्मानुभव तथा आध्यात्मिक जीवन की यथार्थ पद्धति का अन्वेषण । दर्शन के आधार पर हमारी साधना-प्रणाली कर्म मार्ग के द्वारा मन की शुद्धि, उपासना मार्ग के द्वारा मन की एकाग्रता तथा ज्ञान मार्ग के द्वारा मन तथा आत्मा के आवरण को दूर करके जीव के परमात्मतत्त्व से योग का द्वार उद्घाटित करती है।
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Dr. Gauri Bhatnagar. दर्शन शास्त्र परम्परायाः वैश्विकं योगदानम्. Int J Multidiscip Trends 2022;4(1):125-127.