कला का उदà¥à¤¦à¥‡à¤·à¥à¤¯ à¤à¤µà¤‚ सारà¥à¤¥à¤•à¤¤à¤¾
Author(s): पंचम खंडेलवाल
Abstract: à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से कला और सौंदरà¥à¤¯ का नितà¥à¤¯ सहचर संबंध रहा है। à¤à¤• के बिना दूसरे का असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ ही नहीं है। जिस कलाकृति में सौंदरà¥à¤¯ नहीं उसको कला के अंतरà¥à¤—त रखा ही नहीं जा सकता है। सृषà¥à¤Ÿà¤¾ या कलाकार की सौंदरà¥à¤¯à¤®à¤¯à¥€ सरà¥à¤œà¤¨à¤¾ का नाम ही कला है। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ साहितà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ और कलाकारों ने à¤à¤•-दूसरे से पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर अपने-अपने रचनाविधान को परिपà¥à¤·à¥à¤Ÿ किया है, अतः सौंदरà¥à¤¯ की जो चाह à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ साहितà¥à¤¯ में अà¤à¤¿à¤µà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ है, à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ कला पर à¤à¥€ उसका वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ लकà¥à¤·à¤¿à¤¤ है। किंतॠयह पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ यूनानी कला की à¤à¤¾à¤‚ति केवल बाहà¥à¤¯ परिवेष की अलंकृत तक ही सीमित नहीं है, बलà¥à¤•à¤¿ कला के आंतर सà¥à¤µà¤°à¥‚प पर à¤à¥€ चरितारà¥à¤¥ है। à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ कलाकारों ने सौंदरà¥à¤¯ के आदरà¥à¤· पकà¥à¤· को गà¥à¤°à¤¹à¤£ किया है, किंतॠइसका यह अरà¥à¤¥ नहीं है कि उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¤‚े वसà¥à¤¤à¥à¤—त सौंदरà¥à¤¯ की उपेकà¥à¤·à¤¾ की हो। कला में सतà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥à¤à¥‚ति उसका आवषà¥à¤¯à¤• अंग है। तà¤à¥€ तो कलाकृति के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ षà¥à¤¦à¥à¤§ विचारसृषà¥à¤Ÿà¤¿ संà¤à¤µ है। उसी को सौंदरà¥à¤¯à¤¬à¥‹à¤§ कहा गया है। वही कला का वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• धरà¥à¤® है।
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How to cite this article:
पंचम खंडेलवाल. कला का उदà¥à¤¦à¥‡à¤·à¥à¤¯ à¤à¤µà¤‚ सारà¥à¤¥à¤•à¤¤à¤¾. Int J Multidiscip Trends 2022;4(1):59-61.