पशुधन किसानों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति का विश्लेषणात्मक अध्ययन (सीधी जिले के मझौली विकासखण्ड के करमाई गांव के विशेष संदर्भ में)
Author(s): अवधेश कुमार यादव, डॉ. आर. बी. एस. चौहान
Abstract: पशुपालन क्षेत्र के नियोजित विकास से देश की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होती है। पशुधन विकास कार्यक्रमों के क्रियान्वयन से पशुपालक किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। प्रस्तुत शोध अध्ययन पशुधन किसानों के सामाजिक-आर्थिक विशेषताओं के परीक्षण के लिए वर्ष 2022 में सीधी जिले के मझौली विकासखण्ड के करमाई नामक गांव का अध्ययन किया गया है। अध्ययन में करमाई गांव के 65 उत्तरदाताओं को प्रतिदर्श आकार हेतु चुना गया है। इस प्रकार अध्ययन को विकासखण्ड मझौली के करमाई गांव में पशुपालकों के सामाजिक-आर्थिक स्थिति का मूल्यांकन करने के लिए अभिकल्पित किया गया है। उत्तरदाताओं से संरचित साक्षात्कार अनुसूची के माध्यम से प्राथमिक आंकड़े एकत्र किये हैं। अध्ययन के परिणामों से स्पष्ट हुआ कि अधिकांश पशुधन किसानों के पास पशुधन से निम्न एवं मध्य स्तर की आय प्राप्त होती है। अधिकांश किसान जो पशुधन गतिविधियों से जुड़े हैं वे खेतिहर मजदूर, छोटे कृषक एवं सीमांत कृषकों की श्रेणियों में आते हैं। इसलिए सरकार, पशु चिकित्सा सेवाओं के साथ-साथ कृषि अनुसंधान केन्द्रों तथा अन्य विस्तार एजेंसियों द्वारा पशुधन पालन व खेती के तरीकों के बारे में जानकारी प्रदान करने के प्रयास किए जाने चाहिए ताकि वे अपने जीवन में परिवर्तन ला सके। पशुधन किसानों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए पशुधन विकास नीतियों का उचित क्रियान्वयन आवश्यक है। कम कृषि लाभप्रदता के कारण, युवा वर्ग कृषि में रुचि नहीं रखते हैं। ऐसी स्थिति में वे अन्य संबंधित सेवाओं की ओर रुख करते हैं। ऋण, बाजार, विस्तार सेवा तक पहुँच प्रदान करके लोगों को पशुधन आधारित खेती को बनाए रखने के लिए कृषि लाभप्रदता को बढ़ाया जाना चाहिए।
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अवधेश कुमार यादव, डॉ. आर. बी. एस. चौहान. पशुधन किसानों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति का विश्लेषणात्मक अध्ययन (सीधी जिले के मझौली विकासखण्ड के करमाई गांव के विशेष संदर्भ में). Int J Multidiscip Trends 2022;4(1):41-45.