भारतीय दर्शन में वस्तुवादी अवधारणा का एक समीक्षात्मक अध्ययन
Author(s): अभिनन्दन पाण्डेय
Abstract: वसà¥à¤¤à¥à¤µà¤¾à¤¦à¥€ अवधारणा वह अवधारणा है, जो बताती है कि हमारे अनà¥à¤à¤µ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ जगत ही वसà¥à¤¤à¥à¤¤à¤ƒ सतॠहै तथा जो सतॠजà¥à¤žà¥‡à¤¯ à¤à¤µà¤‚ अà¤à¤¿à¤§à¥‡à¤¯ à¤à¥€ है। इसके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° जगत में जà¥à¤žà¤¾à¤¤à¤¾, जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व जà¥à¤žà¥‡à¤¯ तीनों की पृथक सतà¥à¤¤à¤¾ है तथा उनमें अनà¥à¤à¤µ होने वाला समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ à¤à¥€ वसà¥à¤¤à¥à¤¤à¤ƒ सतॠअनà¥à¤¯ शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ में विषय और विषयी, धरà¥à¤® और धरà¥à¤®à¥€, अवयव और अवयवी सà¤à¥€ वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• सतà¥à¤¤à¤¾ है।
विशà¥à¤µ की विसà¥à¤¤à¤¾à¤° à¤à¤µà¤‚ मूल सतॠरूप है अथवा असतॠरूप है। यह जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¤¾ à¤à¥€ दारà¥à¤¶à¤¨à¤¿à¤•à¥‹à¤‚ के चिनà¥à¤¤à¤¾ का विषय रही है। à¤à¤• समानॠदृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤—ोचर होने वाले जगतॠके बारे में चिनà¥à¤¤à¥‹à¤‚ के विचार à¤à¥‡à¤¦ रहा है। पाशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥à¤¯ दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¥‹à¤£ में वसà¥à¤¤à¥à¤µà¤¾à¤¦ पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ के विरोध के संदरà¥à¤ में आया।
यरà¥à¤¥à¤¾à¤¥à¤µà¤¾à¤¦ की वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤•à¤¤à¤¾ को समà¤à¤¨à¥‡ और à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं से पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ न होने वाला आचरण को वसà¥à¤¤à¥à¤µà¤¾à¤¦ कहते है। (Oxford Dictionary)
पाशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥à¤¯ संदरà¥à¤ में-
गà¥à¤°à¥€à¤• दरà¥à¤¶à¤¨ के परà¥à¤®à¤¿à¤¨à¤¾à¤‡à¤¡à¥€à¤œ ने वसà¥à¤¤à¥à¤µà¤¾à¤¦ की अपनाया जिसके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° जà¥à¤žà¤¾à¤¨ के विषय की वासà¥à¤¤à¤¾à¤µà¤¿à¤• सतà¥à¤¤à¤¾ होती है, पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿà¥‹à¤‚ ने इस सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ का विकास करके संवादिता सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ किया जिसके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• जà¥à¤žà¤¾à¤¨ वह है जिसके अनà¥à¤°à¥‚प वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• सतà¥à¤¤à¤¾ की विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ है। मूर व रसेल इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ वसà¥à¤¤à¥à¤µà¤¾à¤¦à¥€ दारà¥à¤¶à¤¨à¤¿à¤• है।
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How to cite this article:
अभिनन्दन पाण्डेय. भारतीय दर्शन में वस्तुवादी अवधारणा का एक समीक्षात्मक अध्ययन. Int J Multidiscip Trends 2021;3(2):93-95.