International Journal of Multidisciplinary Trends
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2021, Vol. 3, Issue 2, Part A

सन्ध्योपासना का विधान, महत्त्व एवं उद्देश्य


Author(s): Dr. Gauri Bhatnagar

Abstract: यह विषय अत्यधिक गहन चिन्तन युक्त, परन्तु उपयोगी है। आर्यों का सर्वश्रेष्ठ मन्त्रात्मक कर्म सन्ध्योपासना है, जो उपनयन संस्कार के पश्चात् द्विज का अत्यन्त आवश्यक कर्म है सन्ध्योपासना वेदमूलक नित्यकर्म है, साथ ही यह अन्तःकरण की शुद्धि का मुख्य साधन है। स्नान, सन्ध्या, जप, होम, देवपूजन, आतिथ्य तथा वैश्वदेव - विप्र के इन नित्य षट्कर्मों में सन्ध्योपासना सर्वप्रमुख है। यह अहोरात्रपर्यन्त जीवन को नियमबद्ध करने की भावना से परिपूर्ण है।

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How to cite this article:
Dr. Gauri Bhatnagar. सन्ध्योपासना का विधान, महत्त्व एवं उद्देश्य. Int J Multidiscip Trends 2021;3(2):13-15.
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