भारतीय विदेश नीति एवं कोरोना मैत्री की कूटनीति
Author(s): डॉ सुमन कुमार एवं डॉ सुशांत कुमार झा
Abstract: अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य पर कोरोना (COVID-19) जैसी महामारी ने विदेश नीति के सन्दर्भ में भी कई नए आयाम को जोड़ा है । इस महामारी की आपदा को अवसर में बदलते हुए भारत ने अपनी परंपरागत विदेश नीति को एक नया मोड़ दे कर कोरोना मैत्री के प्रयास से न सिर्फ दक्षिण एशिया में बल्कि पूरे विश्व में अपनी शक्ति का आभास दिलाया है। चीन के वुहान से शुरू होकर यह महामारी पूरे विश्व में फैल गई और इससे बचने का तत्कालीन उपाय जब किसी भी देश को नहीं सूझ रहा था तब सभी ने लॉकडाउन जैसे नियम का या उपाय का सहारा लिया। विश्व में सिर्फ पांच ऐसे देश हैं जो कोविड -19 महामारी के टीके को विकसित करने में सफल रहे हैं और यह देश हैं संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, रूस, चाइना एवं भारत। आज भारत 100 से अधिक देशों को इन टीकों को उपलब्ध करवा रहा है। कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में भारत निर्णायक भूमिका निभा रहा है। गरीब देशों को लाखों की संख्या में कोरोना वैक्सीन उपलब्ध कराने वाले भारत की दुनिया भर में जमकर तारीफ हो रही है। यह भारत की टीका कूटनीति का ही प्रभाव है कि चीन जो गलवान से एक इंच भी पीछे हटने को तैयार नहीं था, वहां से उसने अपना सैन्य- बल हटा लिया है और दोनों देशों के बीच वास्तविक नियंत्रक रेखा पर शांति बहाल करने की बात की है। भारत की विदेश नीति स्वंत्रता से पहले भी प्रभावी थी और इस कठिन दौर में एक बार फिर भारत कोरोना मैत्री के माध्यम से अपने घरेलू हितो से समझौता किये बगैर एक नयी कूटनीति यानी टीका कूटनीति का पालन करते हुए विश्व समुदाय को यह मानने के लिए बाध्य कर दिया है कि भारत विश्व गुरु बनने की क्षमता रखता है और भविष्य में भी जब कभी मानवता पर खतरा होगा तो विश्व भारत की ओर आशा भरी नज़रो से देखेगा ओर भारत उन्हें कभी निराश नहीं करेगा।
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डॉ सुमन कुमार एवं डॉ सुशांत कुमार झा. भारतीय विदेश नीति एवं कोरोना मैत्री की कूटनीति. Int J Multidiscip Trends 2021;3(1):288-294.