सांगीतिक वाघों में ततॠवाघों का महतà¥à¤µ à¤à¤µà¤‚ वादन सामगà¥à¤°à¥€
Author(s): डाॅ. रंजना गà¥à¤°à¥‹à¤µà¤°
Abstract: सà¥à¤µà¤° व ताल की अà¤à¤¿à¤µà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ करने वाले उपकरण à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सगंीत में वादà¥à¤¯ कहे जाते है। वादà¥à¤¯ à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ उपकरण है जो सगंीतातà¥à¤®à¤• धà¥à¤µà¤¨à¤¿ का बोध करवाता है वाघ शबà¥à¤¦ बहà¥à¤¤ ही वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• है इसकी सà¥à¤¨à¤¿à¤¶à¥à¤šà¤¿à¤¤ परिà¤à¤¾à¤·à¤¾ किसी गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ में नहीं मिलती फिर à¤à¥€ वाघ का तातà¥à¤ªà¤°à¥à¤¯ उस उपकरण से माना गया है। जिससे घरà¥à¤·à¤£, आघात फकूंने आदि की पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ करने से धà¥à¤µà¤¨à¤¿ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होती है। वैसे मनà¥à¤·à¥à¤¯ का शरीर à¤à¥€ वाघ के रूप मे नाद उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ करने का माधà¥à¤¯à¤® बनता है। इसीलिठउसे शरीरी वीणा अथवा दैवी नाम दिठगठेहै। वादà¥à¤¯à¥‹ ंका वरà¥à¤—ीकरण, पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨, मधà¥à¤¯ व आधà¥à¤¨à¤¿à¤• काल में कà¥à¤¯à¤¾ है? इसका अवलोकन किया है।
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डाॅ. रंजना गà¥à¤°à¥‹à¤µà¤°. सांगीतिक वाघों में ततॠवाघों का महतà¥à¤µ à¤à¤µà¤‚ वादन सामगà¥à¤°à¥€. Int J Multidiscip Trends 2021;3(1):226-227.