International Journal of Multidisciplinary Trends
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2021, Vol. 3, Issue 1, Part C

सांगीतिक वाघों में तत् वाघों का महत्व एवं वादन सामग्री


Author(s): डाॅ. रंजना ग्रोवर

Abstract: स्वर व ताल की अभिव्यक्ति करने वाले उपकरण भारतीय सगंीत में वाद्य कहे जाते है। वाद्य एक ऐसा उपकरण है जो सगंीतात्मक ध्वनि का बोध करवाता है वाघ शब्द बहुत ही व्यापक है इसकी सुनिश्चित परिभाषा किसी ग्रन्थ में नहीं मिलती फिर भी वाघ का तात्पर्य उस उपकरण से माना गया है। जिससे घर्षण, आघात फकूंने आदि की प्रक्रिया करने से ध्वनि उत्पन्न होती है। वैसे मनुष्य का शरीर भी वाघ के रूप मे नाद उत्पन्न करने का माध्यम बनता है। इसीलिए उसे शरीरी वीणा अथवा दैवी नाम दिए गए ेहै। वाद्यो ंका वर्गीकरण, प्राचीन, मध्य व आधुनिक काल में क्या है? इसका अवलोकन किया है।

Pages: 226-227 | Views: 615 | Downloads: 219

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How to cite this article:
डाॅ. रंजना ग्रोवर. सांगीतिक वाघों में तत् वाघों का महत्व एवं वादन सामग्री. Int J Multidiscip Trends 2021;3(1):226-227.
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