International Journal of Multidisciplinary Trends
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2021, Vol. 3, Issue 1, Part A

क्षेत्रीय आर्थिक विकास में स्व.रोजगार का महत्त्व


Author(s): डाॅ0 वीना उपाघ्याय

Abstract: ग्रामीण क्षेत्र में संकुचित होता कृषि क्षेत्र मांग और पूर्ति के बीच उत्पन्न होने वाले असन्तुलन को दूर करने में असफल रहा है। ग्रामीण अँचलो की इस समस्या ने ग्रामीण युवकों को रोजगार की तलाश में शहरों की ओर पलायन करने में मजबूर किया है। सीमित शहरी क्षेत्र गांवो से आती इस आबादी को अपनाने में भौगोलिक एवं पर्यावरणीय दृष्टि से असफल रहे है और यहीं कारण है कि बडे महानगरों में गन्दी बस्तियो का उत्रोत्तर विकास हुआ है। ग्रामीण युवाओं को कृषि क्षेत्र की क्रियाओ से हटाकर उन्हे गैर-कृषि आय देने वाली क्रियाओ में सलग्न किया जाना ग्रामीण विकास की एक मौलिक आवश्यकता है। ग्रामीण युवा आज मजदूरी रोजगार की तलाश में शहरो की ओर पलायन करने के लिए बाध्य है। जिसका मूल कारण है-ग्रामीण क्षेत्र में सीमित रोजगार अवसर एवं अन्य विकास परक सुविधाओ का अभाव । ग्रामीण युवओं में फैली बेरोजगारी की समस्या का समाधान इन क्षेत्रो में स्थानीय संसाधनो के अनुकूल स्व-रोजगार अवसरो के सृजन एवं विदोहन द्वारा ही सम्भव है ताकि बेरोजगार ग्रामीण युवा ग्रामीण क्षेत्र में उत्पादकीय गतिविधियो में सलग्न होकर इस क्षेत्र के समन्वित विकास में योगदान दे सके।

Pages: 22-24 | Views: 1014 | Downloads: 346

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How to cite this article:
डाॅ0 वीना उपाघ्याय. क्षेत्रीय आर्थिक विकास में स्व.रोजगार का महत्त्व. Int J Multidiscip Trends 2021;3(1):22-24.
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