घराऊ घटना का घरेलु यथार्थवाद
Author(s): डाॅ राजेश कुमार चन्देल
Abstract: भुवनेश्वर मिश्र, हिन्दी उपन्यास के यथार्थवादी धारा के प्रमुख उपन्यासकार हैं। पूर्व-प्रेमचंद युग में जब घटना प्रधान उपन्यासों का बाहुल्य था। तिलस्मी, जासूसी और ऐयारी उपन्यास की धूम थी। ऐसे समय में उन्नीसवीं सदी के अंत में भुवनेश्वर मिश्र के रूप में एक ऐसे रचनाकार का प्रार्दुभाव हुआ, जो कल्पनारत मनोरंजक उपन्यास लेखन की दिशा को सच की ओर मोड़ने का कार्य किया। इन्होने यथार्थ को अपने लेखनी का आधार बनाया। भुवनेश्वर मिश्र ने दो ही पूर्ण उपन्यास लिखें। ‘घराऊ घटना‘(1893) और ‘बलवंत भुमिहार‘(1901)। लेकिन इन उपन्यासों में उनका यथार्थबोध स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। ‘घराऊ घटना‘(1893) में घरेलु यथार्थ की जो प्रमाणिक प्रस्तुति है, वह अपने समकालीन उपन्यासों के संर्दभ में आश्चर्य पैदा करती है। मिश्र जी ने अपने उपन्यासों में आम आदमी की समस्या का समाधान तलाशने का प्रयास किया है। इनका मानना है कि यथार्थवादी साहित्य ही आधुनिक पूजीवादी व्यवस्था में व्यक्ति के संघर्ष और यातना को अच्छी तरह प्रस्तुत कर उससे जुड़ सकता है।
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डाॅ राजेश कुमार चन्देल. घराऊ घटना का घरेलु यथार्थवाद. Int J Multidiscip Trends 2019;1(1):10-11.